Friday, October 21, 2011

झिलमिल गुफा पार्ट-2

भाइयो ये मेरी ब्लॉग झिलमिल गुफा पार्ट-१ का ही हिस्सा मैं इसको भी उसी मैं लिखना चाहता था लेकिन कुछ तकनिकी खराबी के कारण नहीं लिख पाया था या ये कह लीजिये कि मुझे अभी ब्लॉग्गिंग का अनुभव नहीं है ।

खैर हम पूरे दिन चलते चलते अब शाम को ४.०० बजे झिलमिल गुफा पर थे, हमने सुबह १०.३० पर अपनी पैदल यात्रा शुरू करी थी जिसमे अभी तक हम ३-४ अद्रश्य झरने जिनका सिर्फ गिरता हुआ पानी ही देख सके थे, पार्वती मंदिर देख लिया था
नीलकंठ महादेव जी का मंदिर देख लिया था एक अति सुन्दर छोटी सी शिवलिंग है जो चांदी के बने हुए घेरे के बीच मैं विराजमान है
एक बार को तो इस शिवलिंग को देख कर मन ने कहा था कि भोलेनाथ तुम्हे इस ऊँचाई पर ही मजा आया था
शायद भोलेनाथ से नाराज होकर ही पार्वती जी उनसे भी ज्यादा ऊँचाई पर जाकर विराजमान हो गयी,
पार्वती मंदिर है तो नीलकंठ के पास ही, लेकिन बहुत ऊँचाई पर है

पर हम तो इन सबको देख कर पहुँच चुके थे झिलमिल गुफा, कितनी शान्ति थी यहाँ मन कर रहा था कि बस यही रह जाऊं लेकिन ये मुमकिन ना था।
झिलमिल गुफा से ५ मिनट पैदल चल कर आगे है गणेश गुफा, मेरा यकीन नहीं है तो देख लो



बस इस बोर्ड को पड़ कर मन करा कि चलो गणेश गुफा भी हो जाए लेकिन शाम के ४.३० बज गए थे और वहाँ अँधेरा होने लगा था क्यूंकि एक तो इतने पेड़ थे ऊपर से पच्शिम दिशा मैं ही ऊँचा सा पर्वत तो ऐसा लग रहा था जैसे कि ६ बज गए हो।
जो दिल्ली के ३ बन्दे थे वो भी तब तक हमारे साथ ही थे तो उनसे पूछा कि तुम चलोगे तो उन्होंने हाँ कर दी तो थोड़ी हिम्मत आ गयी, उस छोटे से रास्ते मैं ऐसे दुर्लभ किस्म के द्रश्य थे कि बस क्या बताऊँ उन्हें शब्दों मैं नहीं लिखा जा सकता। थोडा सा ही चले थे कि गणेश गुफा आ गयी वहाँ एक बाबा बैठे हुए थे उनसे राम राम करी और मंदिर के दर्शन करे।
आप भी दर्शन कीजिए गणेश गुफा मैं विराजमान गणेश जी के



मैंने भी फोटो खिचवा ही लिए ना जाने कब दुवारा आना हो गणेश जी कि गुफा मैं




अब शाम के पांच बजकर पंद्रह मिनट हो चुके थे और दिन चुप गया था हम लोगो के लिए क्यूंकि सूरज हमे दिख नहीं रहा था अब लौटना भारी पड़ने लगा तभी अचानक नीरज बाबू के ब्लॉग मैं पड़ा हुआ वो शोर्टकट रास्ता याद आया था तो थोडा रिस्की लेकिन टाइम बहुत बच जाता उस से लौटने पर, हमने गणेश गुफा से लौटते मैं झिलमिल गुफा पर चाय पीने का सोचा क्यूंकि थक कर चूर हुए जा रहे थे चाय पीते पीते चाय वाले से ही पूछ लिया कि यहाँ से कोई शोर्ट कट नहीं है क्या नीचे जाने के लिए उसने बताया कि है तो सही लेकिन अब उस रास्ते से मत जाना क्यूंकि अँधेरा होने वाला है भालू हाथी शेर सांप कुछ भी मिल सकता है तुम्हे रास्ता भी नहीं मालूम और अगर रास्ता भटक गए तो राम नाम सत्य है सोचा कि अगर ऐसी बात है तो यहाँ से पहले निकलो आगे जो होगा देखा जाएगा
अब लौटने मैं ज्यादा तेज चल रहे थे डर था कि कहीं भालू ना आ जाए मैंने तो डर के मारे के डंडा भी हाथ मैं ले लिया था कि अब आ जाए देख लूँगा भालू को भी


देखा मेरा लठ थी तो डंडी ही लेकिन बहुत मजबूत थी मेरे साथ इस फोटो मैं सिद्दार्थ है जोकि घर से ये तय कर के गया था कि बद्रीनाथ जी जायेंगे लेकिन झिलमिल गुफा देख कर बहुत खुश था इस यात्रा मैं मेरे दुसरे साथी रहे संतोष बाबू


ये तो कुछ ज्यादा ही खुश थे पहाड़ों की पैदल यात्रा करके पर इनके जूते साथ छोड़ गये लौट ते मैं फट गए
नीलकंठ पर लौटते मैं दर्शन करे तब तक ६ बज चुके थे अब हमने पैदल के वजाय जीप से लौटने मैं ही भलाई समझी और जीप मैं बैठ गए वापस लक्ष्मण झूला आ गए हमने जीप वाले से कहा कि हमे राम झूला जाना है तो वो भला आदमी हमे रामझूला तक ले आया

रामझूला से अपने अपने बैग लिए और रामझूला पार करके टेम्पो पकड़ा हरिद्वार बस स्टैंड के लिए , बस स्टैंड पर आकर देखा कि मथुरा कि बस है या नहीं पता चला कि १० बजे कि बस है हम तो पीछे कि तीन सीट पकड़ कर चिपक गए, ९.४० जो हो चुकी थी खाना कुछ खाया नहीं था तो बैग बस मैं रख कर पास मैं ही एक रेस्टोरेंट मैं राजमा चावल खाए और सही ९.५८ पर बस मैं आ गये लेकिन कम्बक्त १० बजकर १० मिनट पर चली जिसकी बजह से हम खा भी नहीं पाए सही से
फिर तो बस के चलने के बाद सिर्फ ये याद था कि टिकेट ले ली है बाकी कब नीद आ गयी पता ही नहीं चला नीद खुली अलीगढ मैं आकर और सुबह ७ बज कर १५ मिनट पर मैं अपने घर पर था।

इति श्री प्रथम यात्रा ये समापन:






7 comments:

  1. मस्त सफ़र रहा झिलमिल तक का, रही बात बस की तो भाई इससे बुरा सफ़र मैं नहीं मानता हूँ, बहुत बुरा सफ़र होता है बस का, अगर रेल है तो ठीक नहीं तो अपनी बाइक जिन्दाबाद।

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  2. भाई दोन्नो पाट पढ्ये । कति मस्त लिख्या है । जय भोले की ।

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  3. हरिद्वार ऋषिकेश तक तो भालू को भूल ही जाओ तो अच्छा है। हां, अगर राजाजी के जंगलों में घूम रहे हो तो हाथी और तेंदुए को हमेशा याद रखो। नीलकण्ठ महादेव, झिलमिल गुफा सभी राजाजी राष्ट्रीय पार्क में आते हैं।
    और सन्दीप भाई से पूछो कि रात को दस बजे से लेकर सुबह दस बजे तक सोते सोते घर पहुंच गये, क्या यह बाइक पर सम्भव था????

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  4. Hii!! You read my last blog on "Goa"..I went Auli indecember end.. Have written about this place on my blog.. You can put your precious comment there..

    http://mynetarhat.blogspot.com/2012/01/blog-post.html

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  5. My Corbett-nainitaal trip:

    http://mynetarhat.blogspot.in/2012/05/corbett-nainital-trip.html

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  6. झिलमिल गुफा का सुन्दर विवरण ..
    बहुत अच्छा लगा ..चलो हमने भी इसी बहाने दर्शन कर लिए ..
    मेरे बेटे को बहुत पसंद है गणेश जी ....
    जय श्री गनेश।।।

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