Tuesday, October 11, 2011

गंगा मैया की गोद मैं एक दिन

भाई बात ऐसी है कि ब्लॉग तो हम पर लिखना आता नहीं है बस ले दे कर हरिद्वार और लक्ष्मण झूला, नीलकंठ महादेव, झिलमिल गुफा, पार्वती मंदिर, और हाँ गणेश गुफा देख कर आया हूँ अभी कुछ दिन पहले ही

ब्लॉग जगत मैं एक सज्जन पुरुष है नाम है
नीरज जाट उन्ही की ब्लॉग पड़ कर मन मैं आया कि मैं भी दुनिया देख ही लूं। यूँ तो मैं मथुरा का रहने वाला हूँ लेकिन आज तक मथुरा से बाहर कभी नहीं गया हूँ ।पहले तो नीरज बाबू के साथ कफनी ग्लासिएर देखने का मन था लेकिन ऑफिस से ज्यादा छुट्टी नहीं मिल पायी थी तो बस लक्ष्मण झूला तक ही जा पाया

तो हुआ यूँ कि घुमने कि मन मैं ब्लॉग पड़ते पड़ते ही गयी थी लेकिन इन्तजार था
छुट्टियों का आखिर कार ये भी हो ही गया कि मुझे एक साथ दिन कि छुट्टी मिल गयी।
अक्टूबर से अक्टूबर तक कि छुट्टी थी तो बस मन मैं गया कि कहीं घूम ही आऊँ चूँकि मैं एक बार लक्ष्मण झूला जा चूका हूँ और कुछ ख़ास देख नहीं पाया था सो मन करा कि वहीँ चले लेकिन मन मैं था कि बद्रीनाथ जी
जाये

(क्यूँकि मथुरा से रात को एक स्लीपर बस चलती है १० बजे जो हमे हरिद्वार सुबह बजे पहुंचा देती है)

तो बस शाम को ऑफिस से निकलते ही सबसे पहले पहुंचा बस स्टैंड बस कि बुकिंग के लिए , लेकिन नसीब इतना ख़राब कि उस दिन सादा कुर्सी वाली बस थी , स्लीपर बस ख़राब होने के कारण आज स्लीपर बस नहीं थी तो क्या जाना तो तय था सो उसी कि बुकिंग करा ली सीटों की क्यूंकि मेरे साथ दोस्त और थे जो घुमने जाना चाहते थे
जो लड़के और थे वो राजी भी सिर्फ इस बात पर थे की स्लीपर बस से तो कोई बात नहीं है हम भी चलेंगे लेकिन जब उन्हें पता चला की बस कुर्सी बाली है तो मुझे क्या क्या सुन ना पड़ा था वो तो मैं ही जानता हूँ ...

खैर बस सही १० बजे चल दी और हम तीनो दोस्त सफ़र का आनंद लेते हुए जैसे तैसे सुबह सही .२० पर हरिद्वार बस स्टैंड पर पहुँच गए,( चूँकि हम यहाँ से सोच कर तो ये गए थे की बद्रीनाथ जी घूम कर आयेंगे )तो बस स्टैंड से ही ऋषिकेश जाने वाली बस मैं बैठ गए और करीब ३५ मिनट मैं ही ऋषिकेश के बस स्टैंड पर पहुँच गए।
मैंने जो नजारा बस से नीचे उतरकर देखा तो बस मन यही कह रहा था की रुक जा और इस द्रश्य को आँखों मैं कैद कर ले रोड पर आते ही मैंने देखा की मैं तीन साइड से पहाड़ों से घिरे स्थान मैं खड़ा हूँ , वहीँ मेरे दिल ने सोच लिया था की मेरी दिन प्रक्रति की गोद मैं कटने वाले हैं , लेकिन हमे जाना तो बद्रीनाथ जी था सो दिमाग मैं चल रहा था की जल्दी से बद्रीनाथ पहुँच जाए बस,,, लेकिन ईश्वार को कुछ और ही मंजूर था बद्रीनाथ की सिर्फ एक ही बस थी और वो भी सुबह बजे की। हम बहुत दुखी हुए की यार ये तो सब पानी हो गया यहाँ तक आना।
लेकिन तभी दिमाग मैं आया लक्ष्मण झूला, राफ्टिंग, नीलकंठ महादेव, झिलमिल गुफा, पार्वती मंदिर,

बस हम चल पड़े लक्ष्मण झूला राफ्टिंग के लिए, लक्ष्मण झूला पर एक राफ्टिंग ब्रोकर से बात करी तो ४०० रूपये पर हेड पर राजी हो गया १२ किलोमीटर की राफ्टिंग के लिए, लेकिन तब तक वहां कोई राफ्ट नहीं थी तो उसने कहा की अभी घंटे मैं राफ्ट ऊपर जायेगी तब हमारा नंबर आएगा, तो हम लक्ष्मण झूला देखने चले गए पास मैं ही था
धुप बहुत थी तो हमने चश्मे और टोपी खरीदी थी कई टोपी लगा लगा कर देखते रहे टोपी तो पसंद आई नहीं हाँ चश्मे जरूर
लिए

तब तक हमारे राफ्ट वाले का फ़ोन गया कि जाओ ऊपर जाना है हम तीनो तो बस तैयार ही थे,
आये और तुरंत एक बोलेरो मैं बैठ गए जिसमें बैठ कर हमे ऊपर शिवपुरी जाना था उसमे पहले से ही लड़के बैठे थे जिसमे लड़के तो गुरु तेग बहादुर मेडिकल कॉलेज के छात्र थे और एक लड़का ऑस्ट्रेलिया का था नाम था जेरी , रास्ते मैं नीर गट्टू एक झरना था (जिसे देखने कि तमन्ना दिल मैं रह गयी लेकिन उसे देखूँगा जरूर) हम आगे चलते गए बस पहाड़ो को देखते ही इतनी ही देर मैं हमारी मंजिल शिवपुरी गयी जहाँ से हमे राफ्टिंग शुरू करनी थी,


हमारे राफ्टिंग के गुरु थे राज कुमार उर्फ़ राज भाई यहाँ द्रश्य ऐसा था कि फोटो खीचने से अपने आप को रोक ही नहीं पाया और दनादन ५०-६० फोटो खींच डाले।


यहीं पर एक परांठे कि दुकान थी

इससे परांठे पैक करा लिए, परांठा भी इतना स्वादिस्ट कि आदमी - तो खा ही जाए और वो भी सिर्फ १२ रूपये का, राज भाई ने कहा था कि पीने के लिए पानी कि बोतल और खाना खाना हो तो यहीं खा लो क्यूंकि आगे सिर्फ पानी ही पानी है जल्दी से हमने परांठे खाए, जल्दी जो थी राफ्टिंग की, ये है राज भाई.......

बस फिर क्या था थोड़ी ही देर मैं हम राफ्ट मैं बैठ कर झूलने वाले थे तो हमे थोड़ी सी जानकारी दी थी राज भाई ने कि राफ्ट को कैसे चलाना है और कैसे कैसे वो मार्गदर्शन करेंगे और हमे कैसे उन्हें फोलो करना है एक बात पर जोर देकर कहा था कि अगर राफ्ट पलटे तो राफ्ट मैं किनारे पर एक रस्सी होती है को पकड़ लेना, कोई डूबेगा नहीं सब अपने आप ऊपर जायेंगे क्यूंकि हमे एक लाइफ गार्ड जाकेट पहनाई गयी थी जोकि ७२ घंटे तक पानी मैं आपको डूबने से बचाने मैं शक्षम है मैं निश्चिन्त हो गया था कि कुछ नहीं होगा
हम सभी गंगा मैया का नाम लेकर राफ्ट मैं बैठ गए और चलाने लगे चप्पू (चप्पू को पैडल कहते है राफ्टिंग मैं )
बीच बीच मैं - बड़े बड़े रैपिड आये उन्हें तो हम पार कर गए ( उन रैपिड को राफ्ट मैं बैठ कर पार करने का जो आनद था मैं उसे बयां नहीं कर सकता हूँ ) लेकिन रैपिड पार करने के बाद कोई गोल्फ रैपिड के नाम से रैपिड आया था जहाँ पर एक बड़ी सी कम से कम १०-१२ फीट कि लहर आई और हमारी राफ्ट पलट गयी।
चूँकि हम लोगों मैं से सिर्फ कोई ही तैरना आता था लेकिन उसमे से भी तो इतनी बुरी तरह से डर गए कि वो कहने लगे कि हमे उतार दो हम पैदल ही जायेंगे जैसे तैसे उन्हें संभाला गया लेकिन वो जो - मिनट हमने गंगा जी मैं बिताये हमारी राफ्ट हमारे ऊपर हम पानी मैं कितनी अन्दर तक गए थे किसी को नहीं पता था जब मैं बहार निकला तो सबसे पहले मेरी नजर मेरे दोस्तों को ढूंड रही थी क्यूंकि उनमे से किसी को भी तैरना नहीं आता है लेकिन उनमे से कोई भी मुझे दिखाई नहीं दिया मेरा दिल बैठ गया मैं पल के लिए मर सा गया था शायद क्यूंकि उन्हें मैं ही अपने साथ ले गया था राफ्टिंग के लिए, पानी के बाहर आते ही सबसे पहले मेरी नजर पड़ी हमारे गाइड पर जो सबसे रस्सी को पकड़ने के लिए कह रहा
था क्या फुर्ती दिखाई थी उसने जो कि उस समय जरूरी भी थी अगर थोड़ी सी देर हुई होती तो कुछ भी हो सकता था लेकिन एक एक करके मेरे दोस्त मुझे दिख गए थे लेकिन सबके चेहरे पर ना जाने कैसा मातम सा दिखाई दे रहा था एक पल को ऐसा लगा था कि जीते जी मौत को देख लिया था हमने, सबका जोश ठंडा पड़ चुका था गंगा जी के पानी की तरह
मौत को लगभग छु कर जो निकले थे हम लेकिन मैं बहुत ही जल्दी नोर्मल हो गया था क्यूंकि मैं और मेरे दोस्त जिन्दा थे जोकि मेरे लिए बहुत ख़ुशी कि बात थी मैं सब भूल चुका था एक सपने कि तरह लेकिन इतनी है देर मैं जो मेडिकल के छात्र थे उनमे से एक जिसका नाम
प्रिंस था रोने लग गया और उतरने के लिए कहने लगा उसे जैसे तैसे समझाया गया कि भाई भूल जा इसे और आगे ध्यान लगा क्यूंकि आगे जो लहरें हमे दिख रही थी उन्हें देख कर तो मुझे नहीं लगता कि हम आगे जाने के लिए तैयार थे लेकिन राज भाई ने बड़ी ही कुशलता से वो लहरें पार करा दी और फिर तो सारा सफ़र सिम्पल ही रहा, थोड़ी दूर चलने के बाद एक जगह आयी जहाँ हर राफ्ट रुक रही थी क्यूंकि एक ऊँचे से पत्थर से लोग गंगा जी मैं कूद रहे थे, मेरे भी मन मैं पहली ही बार मैं गया था कि बस उस पत्थर से मैं भी गंगा जी मैं कूदूँगा जैसे ही ऊपर गया और नीचे देखा तो सारे अरमान पानी हो गए क्यूंकि ये इतना आसान नहीं था जितना मैं सोच रहा था। लेकिन मैं गंगा मैया का नाम लेकर कूद ही गया क्यूंकि मन मैं ये बात गयी थी कि अगर गंगा मैया को लेना ही था तो वहीँ ले लिया होता... और पहले ही डूबने कि वजह से पता लग गया था कि लाइफ गार्ड हमे डूबने नहीं देगा चाहे कुछ भी हो जाए तो बस कूद लगा दी .... कूदते समय जो हालत थी बस बता ही नहीं सकता कि कितना अच्छा लगा था सो बार और कूद लिया जब तक हमारी राफ्ट चलने को तैयार थी क्यूंकि मैं कूदू या ना कूदू इसी उधेड़ बुन मैं १५ मिनट ख़राब कर चुका था

थोड़ी ही दूर चप्पू चलाने के बाद हमे लक्ष्मण झूला दिखने लगा था लक्ष्मण झूला के पास आते आते जो
गंगा किनारे के द्रश्य आँखों के सामने थे उन्हें देख कर तो गोवा के बीच भी फीके लगने लगे, (तब अहसास हुआ कि ये गोरे लोग इतने संख्या मैं लक्ष्मण झूला जैसे दुर्लभ स्थान पर करते क्या है ) खैर हमे क्या मतलब उनसे अपनी राफ्ट को राम झूला पर ख़तम करके अपने अपने मोबाइल और कैमरे को लेकर हम चल दिए फिर मन करा कि एक फोटो तो होना ही चाहिए आखिर राफ्टिंग के दौरान राफ्ट को पलते हुए जो देखा था

और बस उस दिन हम राम झूला से वापस लक्ष्मण झूला आये गंगा जी मैं स्नान किये तरीके से क्यूंकि अलमोस्ट सुबह से २५-३० बार डुबकी तो लगा ही चुके थे गंगा जी मैं लेकिन फिर भी शाम के बजे के आस पास गंगा जी का पानी इतना ठंडा था कि नहाना तो दूर बन्दा हाथ ना
डूबा सके पानी मैं,
वहीँ लक्ष्मण झूला मैं देवी का पांडाल सजा हुआ था जोकि बहुत ही मनोहारी द्रश्य था आप भी देखिये

ये मेरा दिन लक्ष्मण झूला मैं राफ्टिंग के दौरान कटा अभी दूसरा दिन भी बाकी है उसमे
सबको
गणेश गुफा और झिलमिल गुफा घुमाऊँगा

लेकिन एक बात कहना चाहता हूँ कि राफ्टिंग करो तो पहले बीमा जरूर करवा लेना कुछ भी हो सकता है

2 comments:

  1. Fakira bhai, rongte khade ho gaye. Lekin isliye nahi ki raft palat gai aur sabhi doobne lage, balki isliye ki itne time tak ganga ke thande pani me koodte rahe. Rafting me koi nithalla bhi nahi doob sakta, bina baat ke hi sab darte hain.
    Aur aap badhiya likh rahe hain, ise aage bhi likhiye.

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  2. बहुत बढिया प्रस्तुति, भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति ......
    WELCOME to--जिन्दगीं--

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